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प्रदेश के 117 मदरसों में उत्तराखंड बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू होगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के मुताबिक बोर्ड की ओर से सभी मदरसा प्रबंधकों को इस संबंध में आदेश जारी किया गया है।

राज्य बोर्ड का पाठ्यक्रम लागू होने के बाद इन मदरसों में बच्चे तहतानिया और फौकानिया नहीं पढ़ेंगे। उन्हें मुंशी और मौलवी भी नहीं पढ़ाया जाएगा।प्रदेश में इन दिनों बिना मान्यता के चल रहे मदरसों को सील किए जाने की कार्रवाई चल रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद अब तक 171 मदरसे सील किए जा चुके हैं। इस बीच उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने निर्णय लिया है कि वक्फ बोर्ड में पंजीकृत सभी मदरसों में बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, भूगोल आदि विषय जो उत्तराखंड बोर्ड के सरकारी स्कूलों में पढ़ाए जा रहे हैं, वही, विषय पढ़ाए जाएंगे। जिसमें संस्कृत एक वैकल्पिक विषय के रूप में होगा।

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वक्फ बोर्ड के सीईओ एसएस उस्मान ने बोर्ड से पंंजीकृत सभी मदरसों के प्रबंधकों, प्रशासक, मुतवल्ली और प्रबंध समितियों को दिए आदेश में कहा, उनके प्रबंधन में संचालित मदरसों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से मान्यता दिलाने के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय से समन्वय स्थापित करें।इस काम में किसी तरह की कोई कठिनाई आती है तो उसकी लिखित सूचना बोर्ड कार्यालय को दें। यदि किसी मदरसा प्रबंधन ने आदेश का पालन न किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वक्फ बोर्ड ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भी इस संबंध में लिखा है कि सभी सीईओ को अपने स्तर से सहयोग करने के लिए निर्देश दें।राज्य के इन मदरसों को मॉडल मदरसा बनाया जाएगा। जिनमें बच्चे सरकारी स्कूलों में लागू पाठ्यक्रम को पढ़ेंगे।-शादाब शम्स, अध्यक्ष उत्तराखंड वक्फ बोर्ड

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