Uttrakhand News :प्रदेश की 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए राहत की खबर,सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त एक लाख रुपये देने की तैयारी,जानिए अन्य लाभ
प्रदेश की 40 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए राहत की खबर है। उन्हें मुफ्त इलाज की सुविधा और सेवानिवृत्ति पर एक मुश्त एक लाख रुपये देने की तैयारी है। विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या के मुताबिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवानिवृत्ति पर अभी 30 हजार रुपये दिए जाते हैं, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपये करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश में 20 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और इतनी सहायिकाएं हैं, जो पिछले काफी समय से पेंशन और अन्य सुविधाएं देने की मांग कर रही हैं।
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, विगत दिनों महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ईएसआई के तहत लाने की संभावनाओं पर विचार करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री की ओर से निर्देश दिए गए कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक कर संबंधित विभाग बाल विकास एवं महिला कल्याण से संबंधित योजनाओं की रूपरेखा तैयार करें।
सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक, इन्हें ईएसआई के तहत लाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कुछ अंशदान देना होगा। वहीं, संबंधित विभाग की ओर से भी इसके लिए बजट की व्यवस्था करनी होगी। उनके श्रम सचिव रहते इस मसले पर एक बैठक हो चुकी है।
ईएसआई के अंतर्गत आने से इन्हें ईएसआई के अस्पतालों, उससे संबद्ध या अन्य अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिल सकेगी। हालांकि, विभाग का यह भी कहना है कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को अटल आयुष्मान योजना का भी लाभ दिया जा रहा है।
प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से कई काम लिए जाते हैं। इन दिनों उन्हें मतदाता सूची के सत्यापन के काम में लगाया गया है। यदि उनके न्यूनतम अंशदान से उन्हें सुविधाएं दी जाती हैं, तो इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैयार हैं।
-सुशीला खत्री, प्रांतीय अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए कुछ प्रीमियम सरकार देगी और न्यूनतम प्रीमियम उनसे लिया जाएगा। इसके लिए बैठक कर पहले उनकी सहमति ली जाएगी।
-रेखा आर्या, मंत्री महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग