Uttrakhand News :नए वर्ष के उपलक्ष में नैना देवी मंदिर में भारी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु,माता के दर्शन कर अपने नए साल का किया आगाज

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नए साल के पहले दिन नैनीताल के नैना देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सुबह की आरती व मां के दर्शनों के साथ श्रद्धालुओं ने अपने दिन की शुरुआत की। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही

💠नए साल के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन कर अपने नए साल का आगाज किया।

नैनीताल के उत्तरी किनारे पर स्थित मां नैना देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि मां सती के नयन नैनी झील में गिरने के बाद मां सती के शक्तिरूप की पूजा के उद्देश्य से ही नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई। यह मंदिर नेपाल की पैगोड़ा और गौथिक शैली का समावेश है। शहरवासियों समेत लोगों की मंदिर से जुड़ी आस्था का अंदाजा इसी से लगया जा सकता है कि जो भी देशी-विदेशी सैलानी नैनीताल घूमने आता है मां के दर्शन किए बिना नहीं लौटता। मां नैना देवी सभी भक्तजनों की मनोकामना पूरी करती है।

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मंदिर की पौराणिक मान्यता: पुराणों में उल्लेख है कि दक्ष पुत्री सती का विवाह शिव के साथ हुआ। एक बार दक्ष ने यज्ञ करवाया। जिसमें शिव-सती को नहीं बुलाया गया। सती अपने पिता के घर आई। यज्ञ में शिव की आहुति न दिये जाने से अपमानित देवी ने आत्मदाह कर लिया। गुस्साएं भगवान शिव ने तांडव करते हुए दक्ष की यज्ञशाला नष्ट कर दी और सती का शव लेकर कैलास पर्वत की ओर जाने लगे। अनहोनी की आशंका से विष्णु ने सती के शव पर चक्र चला दिया। इससे उनके शरीर के अंग कटकर 51 स्थानों पर जा गिरे। उमा की बांयी आंख नैनीताल के नैनीझील में गिरी।

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मंदिर का वर्तमान स्वरुप: नैनीताल में बोट हाउस क्लब और पंत पार्क के निकट मंदिर की स्थापना हुई थी। 1880 में शहर में आए भयंकर भूस्खलन से मंदिर ध्वस्त हो गया। बताया जाता है कि मां नैना देवी मंदिर ने नगर के प्रमुख व्यवसायी मोती राम साह के पुत्र अमर नाथ साह को स्वप्न में उस स्थान का पता बताया जहां उनकी मूर्ति दबी पड़ी थी। अमरनाथ शाह ने अपने मित्रों की मदद से देवी की मूर्ति का उद्धार किया और नए सिरे से मंदिर का निर्माण किया। बाद में यह मंदिर 1883 में बनकर तैयार हो गया।

बता दें कि, नए साल के पहले दिन पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, यूपी, बिहार समेत अन्य प्रदेशों से श्रद्धालुओं नैना देवी मंदिर पहुंचे थे, श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात की गई थी।

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