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प्रदेश में अब व्यावसायिक वाहन स्वामी यदि अपने वाहनों को स्क्रैप कर नई सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन बस खरीदते हैं तो परिवहन विभाग उन्हें बस की कीमत का 50 प्रतिशत का पूंजीगत अनुदान देगा।

💠यह राशि अधिकतम 15 लाख रुपये होगी।

शर्त यह है कि उक्त बस स्वामी के पास वाहन का वैध परमिट होना चाहिए। यह व्यवस्था परिवहन विभाग द्वारा जारी उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति, 2024 में की गई है। इस नीति को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देहरादून से शुरू किया जाएगा।

💠मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक

गुरुवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए सचिव परिवहन शैलेश बगोली ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर करने और पुराने डीजल आधारित बसों, विक्रमों से हो रहे प्रदूषण को कम करने की दृष्टि से उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवहन नीति को मंजूरी प्रदान की गई है।

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इस नीति के अनुसार यदि कोई वाहन स्वामी वाहन स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है और वैध परमिट समर्पित करता है तो उसे सीएनजी व वैकल्पिक ईंधन की 25 से 32 सीटर बस खरीदने पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।

यदि कोई बिना वाहन स्क्रैप किए वैध परमिट समर्पित करता है तो उसे सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन बस खरीदने पर कीमत का 40 प्रतिशत, अधिकतम 12 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। ऐसे वाहन चालक अपनी पुरानी बस को राज्य में संचालित नहीं करेंगे। इन्हें दूसरे राज्य में उस बस को चलाने के लिए विभाग से एनओसी लेनी होगी।

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यदि कोई विक्रम संचालक अपने वाहन का स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हुए परमिट समर्पित करता है तो उसे 25 से 32 सीटर सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन बस खरीदने पर भी 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 15 लाख का अनुदान दिया जाएगा।

यदि कोई विक्रम संचालक अपने वाहन को सीएनजी अथवा वैकल्पिक ईंधन ओमनी बस बीएस छह में परिवर्तित करता है तो वह एक विक्रम परमिट के सापेक्ष एक ओमनी बस का परमिट ले सकता है। प्रोत्साहन के रूप में उसे वाहन का 50 प्रतिशत अधिकतम 3.50 लाख का अनुदान दिया जाएगा।

 

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