Uttrakhand News:उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता संशोधन लाने की तैयारी,विवाह पंजीकरण की अवधि बढ़ाने पर विचार

उत्तराखंड ने जनवरी 2025 में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू कर एक नई मिसाल पेश की थी, जिसे सामाजिक समरसता और एकरूपता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया।
हालांकि, इस कानून के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण मुद्दा विवाह पंजीकरण की समय-सीमा है। अब सरकार इस दिशा में लचीलापन दिखाते हुए कानून में पहला संशोधन लाने की योजना बना रही है।
वर्तमान में, यूसीसी के तहत, 27 जनवरी 2025 के बाद हुए विवाहों को 60 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराना आवश्यक है। वहीं, 26 मार्च 2010 से लेकर अधिनियम के लागू होने तक हुए विवाहों के लिए छह महीने की अवधि निर्धारित की गई थी। गृह विभाग अब इस छह महीने की अवधि को बढ़ाकर एक वर्ष करने की सिफारिश कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार को फील्ड से लगातार यह फीडबैक मिल रहा है कि पंजीकरण की यह सीमित अवधि लोगों के लिए व्यवहारिक रूप से कठिनाई पैदा कर रही है। इसी के मद्देनज़र गृह विभाग ने एक संशोधन प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे विधि विभाग को भेजा गया है। विधिक सहमति मिलने पर यह प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष जाएगा और फिर मानसून सत्र में विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
🌸संशोधन की संभावनाएँ और भ्रांतियाँ
गृह विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यूसीसी अधिनियम में अब तक 15 से अधिक संशोधन बिंदुओं की पहचान की जा चुकी है, जिनमें से कई तकनीकी प्रकृति के हैं। हालांकि, प्राथमिकता विवाह पंजीकरण संबंधी समय-सीमा में बदलाव को दी जा रही है। संशोधन प्रस्ताव को उच्च स्तर पर स्वीकृति के बाद अब न्याय विभाग की प्रक्रिया से गुजारा जा रहा है।
विवाह पंजीकरण को लेकर लोगों में कई भ्रांतियाँ भी हैं। यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यदि निर्धारित समय में विवाह पंजीकरण नहीं होता है, तो विवाह अवैध नहीं माना जाएगा। हालांकि, तय समयसीमा के बाद देरी से पंजीकरण कराने पर जुर्माना अदा करना अनिवार्य होगा। इस पहलू को लेकर जनजागरण की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
🌸उत्तराखंड का अग्रणी कदम
27 जनवरी 2025 को यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने यह साहसिक कदम उठाया। सरकार द्वारा बनाए गए विशेष पोर्टल पर अब तक 2.55 लाख से अधिक विवाह पंजीकृत हो चुके हैं, जो कानून की स्वीकार्यता को दर्शाता है।
संशोधन प्रक्रिया के तहत कुछ नए मुद्दों पर भी विचार किया जा रहा है, जैसे कि ट्रांसजेंडर और समलैंगिक जोड़ों के विवाह पंजीकरण का कोई स्पष्ट प्रावधान अभी तक अधिनियम में नहीं है। साथ ही, विदेशी नागरिकों से विवाह के मामलों में आधार कार्ड की अनिवार्यता पंजीकरण में अड़चन बन रही है। इन विषयों पर भी प्रस्तावित संशोधन में दिशा-निर्देश जोड़े जा सकते हैं।