उत्तराखंड: लंपी वायरस को लेकर सरकार अलर्ट, 3 हजार से अधिक पशु संक्रमित

ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड में 3 हजार से अधिक पशु लंपी वायरस से पीड़ित मिले हैं,इसे लेकर राज्य सरकार अलर्ट मोड पर है।अब तक संक्रमण बचाव के लिए राज्य में 07 लाख से अधिक पशुओं को टीके लगाए गए हैं। इसके साथ ही पशुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 

बुधवार को विभानसभा में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि सरकार लंपी वायरस को पूरी तरह से चौकस हैं। इस बीमारी से नियंत्रण के लिए विभाग की ओर से जनजागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। मंत्री बहुगुणा ने बताया कि अब तक कुल 3 हजार 131 पशुओं में लंपी वायरस के चपेट में आए हैं। लगभग 7 लाख पशुओं को टीके लगाए जा चुके हैं। आने वाले 15 दिन में सभी पशुओं को इंजेक्शन लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 

मंत्री ने बताया कि लंपी वायरस को ध्यान में चिकित्सकों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही पशुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य में आने जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। विभाग टीके लगागने के साथ वायरस से बचाव के लिए जागरुकता अभियान को गति दे रहा है। 

उन्होंने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के साथ किसी प्रकार से कोई पशु क्रूरता नहीं होने के निर्देश देते हुए कहा कि कमजोर घोड़े-खच्चरों का यात्रा मार्ग पर नहीं करने देने को कहा। इसके साथ ही विभाग को घोड़े-खच्चरों को गरम पानी उपलब्ध कराने और उनकी निरंतर निगरानी करने के निर्देश दिए। 

उन्होंने कहा यात्रा मार्ग पशु क्रूरता नहीं होन के लिए निगरानी के लिए 30 सदस्यीय म्यूल टास्क फोर्स तैनात की गई है, घोड़े-खच्चरों चिकित्सा सुविधा के लिए 7 पशु चिकित्सकों एवं 6 पैरावेट की तैनाती की गई है। यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों को गरम पानी उपलब्ध कराए जाने के लिए 18 स्थानों पर घोड़े-खच्चरों के लिए गीजर युक्त गरम पानी की चरहियों का निर्माण किया गया है। जिसकी देखरेख विभिन्न चरियों पर तैनात म्यूल टास्क फोर्स द्वारा की जा रही है। 

उहोंने बताया कि घोड़े-खच्चरों को चिकित्सा उपचार के लिए सोनप्रयाग, गौरीकुंड, बड़ी लिनचोली तथा केदारनाथ रुद्रा प्वाइंट पर एमआरपी बनाई गई है। यहां तैनात डॉक्टरों और पैरावेटों द्वारा घायल व बीमार घोड़े-खच्चरों का निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार किया जा रहा है। जिसमें 09 मई तक सोनप्रयाग में 60, गौरीकुंड में 310, लिनचोली में 66 एवं केदारनाथ में 45 घोड़े-खच्चरों का उपचार किया गया है। साथ ही कैंपों एवं यात्रा मार्ग पर कुल 8320 घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। पशु चिकित्सकों द्वारा 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहते हुए पशुओं का उपचार किया जा रहा है। 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *