स्वीकृति के तीन साल बाद भी सोमेश्वर के गांव में नहीं पहुंची सड़क, 85 प्रतिशत परिवारों ने किया पलायन

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अल्मोड़ा। विकास के लिए गांवों तक सड़क पहुंचाने के दावे धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं। राज्य गठन के 23 वर्षों बाद भी सड़क की उम्मीद लगाए सोमेश्वर के चार गांवों के ग्रामीणों की उम्मीद परवान नहीं चढ़ सकी है।स्वीकृति के तीन साल बाद भी सड़क नहीं बन पाई है। सड़क के अभाव में इन गांवों से 85 प्रतिशत परिवार पलायन कर गए। अब बुजुर्ग ही गांव को आबाद किए हुए हैं। 

🔹पलायन करने की मुख्य वजह गांवों तक सड़क न पहुंचना 

सोमेश्वर क्षेत्र के चिनोड़, कफड़ा, कुजौली और सिचना गांव में दो दशक पूर्व 400 से अधिक परिवार और दो हजार की आबादी निवास करती थी। 20 वर्षों के भीतर यहां के 335 से अधिक परिवारों ने पलायन किया है। पलायन करने की मुख्य वजह गांवों तक सड़क न पहुंचना है। राज्य गठन के बाद भी अब तक यहां सड़क नहीं पहुंची तो ग्रामीणों ने धीरे-धीरे पलायन कर सड़क के नजदीक और मैदानी क्षेत्रों में बसना शुरू किया। अधिकतर परिवार पलायन कर गए हैं और इन गांवों में वर्तमान में महज 65 परिवार शेष हैं। किसी तरह इन गांवों को जोड़ने के लिए तीन साल पूर्व ढाई किमी सड़क निर्माण का प्रस्ताव शासन में भेजा गया जो सरकारी फाइल में धूल फांक रहा है। समय बीतने के साथ ही यहां रहे ग्रामीणों की गांव तक सड़क पहुंचने की उम्मीद दम तोड़ रही है और वे भी पलायन करने का मन बनाने लगे हैं। 

🔹सड़क न होने से बाहर बसे लोग भी नहीं करते गांव का रुख 

चिनोड़ की प्रधान भावना तिवारी ने बताया कि वर्षों से ग्रामीण सड़क की उम्मीद लगाए बैठे हैं। सड़क नहीं बनने से बीमारों और गर्भवतियों को समय पर अस्पताल पहुंचाना मुश्किल है। ऐसे में अधिकतर ग्रामीणों ने गांव से पलायन किया है। सड़क नहीं पहुंचने से बाहर बसे लोग भी गांव में आने से परहेज करते हैं और धीरे-धीरे ये गांव वीरानी की तरफ बढ़ रहे हैं। 

इंद्रजीत बोस, ईई, लोनिवि ने कहा गोलुछीना-चिनोड़-कुज्याड़ी सड़क का प्रस्ताव शासन में भेजा गया है जिसे स्वीकृति का इंतजार है।

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