मंदिर मस्जिद लाउडस्पीकर पर अमल हो हाईकोर्ट आदेश–जिलाधिकारी

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देश में इन दिनों मंदिर – मस्जिद और लाउडस्पीकर को लेकर बहस छिड़ी हुई है। जिसमें दोनों ही पक्षों की ओर से मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजाने या ना बजाने को लेकर तर्क दिए जा रहे हैं। ऐसे में हरिद्वार के रहने वाले दो लोगो ने कौमी एकता का ऐसा संदेश दिया है जो विवाद पैदा करने वाले लोगो के लिए बड़ा सबक साबित हो रहा। जानिए क्या है पूरा मामला….

 

हरिद्वार देहात के धनपुरा गांव में रहने वाले 72 साल के तालिब हसन और 34 साल के अमित कुमार यूं तो अलग-अलग समुदाय के हैं। लेकिन बुजुर्गों के स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा को लेकर दोनों एक जैसी राय रखते हैं। तालिब हसन और अमित कुमार का कहना है कि उनके गांव में मस्जिद और मंदिरों के लाउडस्पीकर से पैदा होता ध्वनि प्रदूषण बुजुर्गों के स्वास्थ्य और बच्चों के पढ़ाई लिखाई के लिए ठीक नहीं है।

 

लिहाजा दोनों ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में इसके लिए जनहित याचिका भी दायर की थी। हाई कोर्ट ने भी सुनवाई करते हुए इस जिला प्रशासन को लाउडस्पीकर का शोर बंद कराने का आदेश दिया है। आप भी सुनिए क्या कहना है पीआईएल फाइल करने वाले तालिब हसन और अमित कुमार।

 

 

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लिखा है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर 5 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए। अगर धार्मिक स्थलों में इससे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है तो उसे रोकना प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी होगी। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 8 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया है। हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पांडे जल्द से जल्द कोर्ट के आदेश का पालन कराने की बात कह रहे हैं।

 

 

देश में चल रही मंदिर मस्जिद और लाउडस्पीकर की बहस के बीच उत्तराखंड हाई कोर्ट का मंदिर और मस्जिद दोनों से लाउडस्पीकर हटाने या आवाज नियंत्रित कराने का फैसला काफी अहम माना जा रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन लोगों के विरोध के बिना धार्मिक स्थलों से ध्वनि प्रदूषण कम करवा पाता है या नहीं।

 

 

 

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