यहां नवजात को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज समेत दो अस्पतालों से हल्द्वानी किया रेफर,पहुंचने से पहले तोड़ा दम

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सरकार के लाख दावों के बाद भी पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अब भी लोग जान गंवा रहे हैं। अल्मोड़ा में वाहन में जन्में प्रीमेच्योर बच्चे को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज समेत दो अस्पतालों से हल्द्वानी रेफर कर दिया गया। लेकिन हल्द्वानी पहुंचने से पहले ही नवजात ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज में एनआईसीयू वार्ड फुल होने के चलते रेफर किया गया। जबकि 108 में ऑक्सीजन सिलिंडर बदलने में भी काफी समय बर्बाद हो गया। जिससे बच्चे की जान नहीं बच सकी। 

किसी तरह जच्चा-बच्चा को लेकर स्वजन महिला अस्पताल पहुंचे 

जानकारी अनुसार फलसीमा निवासी अंकित आर्या की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने के बाद परिजन अस्पताल को ला रहे थे। लेकिन रास्ते में एनटीडी के पास ही उसने नवजात को जन्म दे दिया। किसी तरह जच्चा-बच्चा को लेकर स्वजन महिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में दोनों को रखा गया, लेकिन स्वजनों का कहना है कि महिला अस्पताल से बच्चे को वजन कम और प्रीमेच्योर होने पर बेस के लिए रेफर कर दिया। बच्चे को एनआईसीयू की जरूरत थी। उसे सांस लेने में तकलीफ थी। जिसके बाद बेस लेकर पहुंचे लेकिन यहां डॉक्टरों ने परीक्षण नवजात को रेफर कर दिया। हालांकि कुछ देर बच्चे को सामान्य वार्ड में ऑक्सीजन लगाई गई तो वह कुछ हद तक ठीक भी रहा। इसके बाद 108 की मदद से स्वजन नवजात को लेकर हल्द्वानी के लिए निकले। लेकिन रास्ते में ऑक्सीजन भी खत्म हो गई। भीमताल में ऑक्सीजन सिलिंडर बदला गया। जिसके बाद हल्द्वानी पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इधर, 108 के प्रभारी ने बताया कि वाहन में ऑक्सीजन पूरी थी, वाहन से बच्चे को हल्द्वानी अस्पताल तक पहुंचा गया। 

समय पर मिलता एनआईसीयू वार्ड तो बच सकती थी जान 

मेडिकल कॉलेज के अधीन बेस अस्पताल में बच्चे को एनआईसीयू वार्ड नहीं मिल सका। मृतक नवजात के पिता अंकित ने बताया कि डॉक्टरों का कहना था कि अगर आधे घंटे पहले आते तो बच्चे को वार्ड मिल जाता तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। 

व्यवस्थाएं और सिस्टम दुरुस्त होता तो बच जाती बेटे की जान 

मृतक नवजात के स्वजन लगातार सिस्टम को कोस रहे हैं। नवजात के पिता अंकित ने कहा कि अगर सिस्टम ठीक होता तो उसके पुत्र की जान बच सकती थी। मेडिकल कॉलेज तैयार होने के बाद भी उसके पुत्र को यहां उपचार नहीं मिला। एनआईसीयू वार्ड फुल होने से सेवा नहीं मिल सकी। अगर एनआईसीयू में जगह मिल जाती तो उसका बच्चा बच सकता था। 

मामले को लेकर परिजनों से की जाएगी वार्ता 

डॉ. आरसी पंत, सीएमओ अल्मोड़ा ने कहा है कि मामले को लेकर परिजनों से वार्ता की जाएगी। जिसके बाद जांच होगी, अगर कोई गलती हुई तो संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी। डॉ. सीपी भैसोड़ा प्राचार्य मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा का कहना था कि एनआईसीयू के वार्ड फुल थे जिसके चलते बच्चे को भर्ती नहीं किया जा सका था।

 

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