एक्सपायर्ड दवाइयों के कैप्सूल बनाकर बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार, दो शातिर फरार

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उत्तराखंड के देहरादून में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने नकली दवाइयों के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है. इस मामले में अंतरराज्यीय गिरोह का एक सदस्य भी पुलिस के हाथ आया है, जबकि दो आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी पुलिस तलाश में जुटी हुई है. 

दवाओं के स्क्रैप पाउडर से लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा था. डीआईजी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि शंकरपुर स्थित गोदाम से बरामद पाउडर का इस्तेमाल टीबी, हृदय रोग और बुखार से जुड़ी दवाइयों को बनाने में किया जा रहा था।इस पाउडर को कैप्सूल में भरने के बाद इन्हें दूसरे स्थानों पर दवा सप्लाई कंपनियों को बेचा जा रहा था. 

पुलिस पूछताछ में पता चला कि लखीमपुर निवासी आशीष कुमार और अनिल कुमार पिछले तीन-चार साल से दवाइयों के स्क्रैप का काम साथ में मिलकर कर रहे थे. सेलाकुई स्थित एक फार्मा कंपनी के बांद होने पर आशीष ने वहां से सभी दवाइयों के एमसीसी (माइक्रो क्रिस्टलाइन सैलीलॉज) पाउडर को खरीद लिया, जो कि उपयोग में नहीं लाया जा रहा था. अनिल इस पाउडर को भरने के लिए खाली कैप्सूल की व्यवस्था करता था. फिर दोनों पाउडर को कैप्सूल में भरवाकर रुड़की निवासी इरफान को बेचते थे. इरफान इन कैप्सूल को दवा सप्लाई कंपनियों तक पहुंचाता था, जहां से यह अलग-अलग रैपर और पैकिंग में बाजार में बेचने के लिए भेजी जाती थीं. डीआईजी के मुताबिक फरार आरोपियों की गिरफ्तारी से नकली दवा के पूरे नेटवर्क का खुलासा किया जाएगा। 

🔹सैंपल जांच के लिए भेजे

वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार ने बताया कि बरामद पाउडर के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहा हैं. साथ ही बाकी पाउडर और कैप्सूल सेल्स को पुलिस ने सुपुर्दगी में ले लिया है. यहां जो पाउडर मिला है, उसे फार्मा कंपनियां दवा बनाने के बाद बचे पाउडर को स्क्रैप में बेच देती हैं. जो एक्सपायरी होने के साथ मिलावटी भी हो सकता है. यहां से एमॉक्सी-250, एमॉक्सीलिन-250, राबीजोर्ब एमपीएस कैप्सूल सेल बरामद हुए हैं. 

🔹तीनों कबाड़ी, काम अलग 

पुलिस के मुताबिक गिरोह में जिन तीन कबाड़ी आरोपियों की संलिप्तता का पता चला है, उनमें तीनों के अलग काम थे. आशीष पाउडर, अनिल खाली कैप्सूल की व्यवस्था करता था इरफान कैप्सूल में दवा भरकर बेचने का काम करता है. गिरफ्तार आरोपी आशीष कुमार और अनिल कुमार दोनों लखीमपुर खीरी यूपी के हैं. दोनों चार वर्ष से एक दूसरे को जानते हैं और कबाड़ी का काम करते हैं. सेलाकुई स्थित बंद हो चुकी कंपनी से स्क्रैप दवाओं को खरीदकर उससे नकली दवा बनाने का काम करते हैं. 

🔹औषधि नियंत्रक विभाग सतर्क 

राज्य के औषधि नियंत्रक विभाग इस मामले को लेकर काफी सर्तक हो गया है. आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार और औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने सभी औषधि निरीक्षकों को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

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