उत्तराखंड राज्य के डिग्री कॉलेजों में पदोन्नति प्रोफेसर प्राध्यापकों की बड़ी मुश्किलें
राज्य के डिग्री कॉलेजों में 2018 में पदोन्नति के बाद प्रोफेसर बने प्राध्यापकों की उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
ट्रिब्यूनल ने निदेशालय स्तर से हुई चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। पदोन्नति पाने वाले हर प्रोफेसर के दस्तावेज की आगामी तीन माह में फिर से जांच करने को कहा गया है। जांच अवधि में प्रोफेसरों को मिल रहीं प्रमोशन की सुविधाएं स्थगित रखने का आदेश दिया है।
वर्ष 2018 में डिग्री कॉलेजों में तैनात 139 एसोसिएट प्रोफेसर्स को पदोन्नत कर प्रोफेसर बना दिया गया था। यह चयन प्रक्रिया उच्चशिक्षा निदेशालय स्तर से संपन्न कराई गई। जिस पर कॉलेज के ही कई प्राध्यापकों ने सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
इसके बाद याचिका पर उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई। ट्रिब्यूनल ने प्रोफेसरों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए शासन को प्रमोशन प्रक्रिया की फिर से स्क्रूटनी करने के आदेश दिए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रिब्यूनल करियर एडवांसमेंट के तहत हुई इस चयन प्रक्रिया की 3 माह के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए गए हैं।
ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक प्रमोशन का लाभ ले रहे 139 प्रोफेसरों को जांच अवधि तक सभी सुविधाएं स्थगित करने के आदेश दिए हैं। जिसके तहत प्रोफेसर्स जांच अवधि तक ग्रेड-पे का लाभ भी नहीं ले सकेंगे। जांच में यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उससे एरियर समेत रिकवरी की जाएगी।
139 प्रोफेसरों की चयन प्रक्रिया को लेकर आए उत्तराखंड पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूलन के आदेश को लेकर शासन स्तर पर गुरुवार को बैठक होने जा रही है। इसमें ट्रिब्यूलन के आदेश को लागू करने पर फैसला लिया जाएगा। बैठक के बाद ही निदेशालय स्तर पर प्रोफेसरों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती को लेकर कोई कार्रवाई की जाएगी।
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