Pitthoragah News:परंपरागत खानपान की ओर लौटने लगे लोग,मोटा अनाज बन रहा लोगों की पसंद
मोटे अनाज से लोगों ने दूरी बना ली थी, लेकिन अब वहीं मोटा अनाज अब उनकी थाली का अहम हिस्सा होता जा रहा है।
अब मोटा अनाज बाजार में भी बिकने लगा है।इस साल अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष को पूरे देश में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जा रहा है। पहाड़ों में लोग सदियों से मोटे अनाज मडवा, बाजरा, झंगोरा का ही उपयोग करते थे।
🔹किसानों को मोटे अनाजों का उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा
पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन और जंगली जानवरों के नुकसान पहुंचाने के कारण मोटे अनाज का कम उत्पादन हो रहा है। कृषि विभाग गांव-गांव में मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक कर रहा है। यही नहीं उनसे मोटा अनाज खरीदकर उन्हें बाजार उपलब्ध करा रहा है। मुख्य कृषि अधिकारी रितु टम्टा का कहना है कि किसानों को मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
🔹मोटे अनाज के उत्पादन की संभावना अधिक
मोटे अनाज के उत्पादन के लिए सिंचाई की जरूरत कम पड़ती है। इस कारण पहाड़ों में मोटे अनाज का उत्पादन अधिक होने की संभावना है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अलंकार सिंह ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में मोटे अनाज की अच्छी पैदावार होती है। इसमें ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं।
🔹मोटे अनाज से बनाए जाएंगे बिस्कुट
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक बहुगुणा ने बताया कि वह गांव-गांव जाकर लोगों को मोटे अनाज जैसे मडुवा और बाजरा के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इन उत्पादों से ग्रामीणों को बिस्कुट और इडली बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
🔹कुछ मोटे अनाज के भाव
मोटा अनाज के दाम (रुपये प्रतिकिलो) जौ- 80, बाजरा- 80, मडुवा- 50, मक्का- 50, सोयाबीन- 60, गहत- 180, काला भट- 100, झिंगोरा- 140