Pitthoragah News:जिले की 40 वन पंचायतों में होगी जड़ी-बूटी की खेती,रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएंगी ये जड़ी बूटियां
मुनस्यारी और धारचूला ब्लाॅक में जड़ी-बूटी की खेती और बिण और मूनाकोट विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्र की पहाड़ियों से शिलाजीत को एकत्र कर बाजार उपलब्ध कराया जाएगा।
🔹रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएंगी ये जड़ी बूटी
बौन, गर्ब्यांग, पौटिंग गांव जड़ी-बूटी के पौधों की नर्सरी बनाई जाएगी। सर्वाधिक खेती औषधीय पौधे सीबकथोर्न की जाएगी। इसमें आंवले से 16 गुना अधिक विटामिन सी पाया जाता है। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है। इसलिए इसकी खेती बढ़ाने की ओर वन विभाग का ज्यादा ध्यान है।
🔹पौधों को तैयार कर चयनित गांवों में रोपा जाएगा
वन विभाग ने मुनस्यारी और धारचूला में औषधीय गुणों से भरपूर सीबकथोर्न की खेती के लिए शासन को एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। शासन से स्वीकृति मिलते ही नर्सरी बनाने और खेती करने का कार्य शुरू हो जाएगा। मुनस्यारी के बौन, पौटिंग, धारचूला के गर्ब्यांग के नर्सरी बनाई जाएगी। यहां पौधों को तैयार कर चयनित गांवों में रोपा जाएगा। मूनाकोट और बिण विकासखंड के गांवों से शिलाजीत को एकत्र किया जाएगा। इसे संग्रह केंद्र में एकत्र कर बाजार उपलब्ध कराया जाएगा।
🔹ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में थुनेर, आंवला, बहेड़ा, हरड़, यारसा गंबू, सालमपंजा, कुटकी, कूट, जटामासी, काकोली, सतुआ, कपूर कचरी, सालममिश्री, बालजड़ी, समेवा, बनाक्षा, गुग्गल धूप, चिप्पी, डोलू, अतीस, जंबू सहित कई जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। बाजार की कम उपलब्धता के कारण लोगों ने इनकी खेती करना कम दिया है। वन विभाग दोबारा ग्रामीणों को इससे जोड़कर औषधीय पौधों का संरक्षण और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।
🔹तीन स्थानों पर बनाए जाएंगे संग्रह केंद्र
वन विभाग धारचूला, मुनस्यारी, पिथौरागढ़ में संग्रह केंद्र बनाएगा। यहां पैकिंग के बाद जड़ी-बूटियों को बाजार में उतारा जाएगा। इन केंद्रों में जिलेभर से जड़ी-बूटियों को एकत्र कर मांग के मुताबिक मैदानी जिलों और दवा बनाने वाली कंपनियों को भेजा जाएगा।
🔹41 वन पंचायतों का हुआ है चयन
स्थान- चयनित क्लस्टर
मुनस्यारी- 13
दारमा घाटी- 11
व्यास घाटी- 05
चौंदास घाटी- 04
मूनाकोट- 04
बिण- 03
वन विभाग जिले की 41 वन पंचायतों में औषधीय पौधों की खेती कर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ेगा। इसका प्रस्ताव भेज दिया है। – जीवन मोहन दगाड़े, डीएफओ, पिथौरागढ़ वन प्रभाग।