अब तो जागो—यहाँ कुम्भकर्णी नींद में है विभाग ग्रामीण सुधारानी पड़ रही है सड़क
उत्तराखंड में सरकार भले ही विकास के दावे करती आ रही हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रही है. उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों की बात करें तो यहां विकास की स्थिति बत से बदतर हो चली है.
विभागों के बंदरबांट के चलते यहां विकास कोसों दूर पिछड़ता नजर आ रहा है . हम बात कर रहे हैं. चमोली जनपद के विकासखंड थराली की जहां सड़क मार्ग 1 साल से बद से बदतर स्थिति में है .जिसको अब यहां के ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान कर सड़क सुधारीकरण किया जा रहा है. यह तस्वीर देश के प्रधानमंत्री अगर देख ले तो वह भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि जिस देश को विकास की औऱ वो ले जा रहे हैं . उस देश के विभागों के आलाअधिकारी कैसे विकास का गला घोट रहे हैं.
उत्तराखंड में सड़क कार्यदायी संस्थाओं के हालात किसी से छिपे नहीं हैं ,आलम ये है कि एक बार जैसे तैसे सड़क बन जाये उसके बाद न तो विभागीय अधिकारी और न ही ठेकेदार सड़क पर निर्माण कार्य की सुध लेने आते हैं कुछ ऐसा ही नजारा है थराली विकासखण्ड के थराली चौण्डा किमनी मोटरमार्ग का जहां हजारों की आबादी को जोड़ने वाली इस सड़क पर सुधारीकरण का कार्य खुद ग्रामीण श्रमदान से कर रहे हैं
अब इसे ग्रामीणों की मजबूरी कहें या विभागीय अधिकारियों की सुस्ती या फिर जनप्रतिनिधियों के नाकारापन लेकिन इस मोटरमार्ग से जुड़ने वाले ग्रामीण इस सड़क को सुधारने के लिए पिछले एक साल से स्थानीय प्रशासन ,क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और कार्यदायी विभाग से गुहार लगा रहे हैं लेकिन एक साल बाद भी सड़क के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत न होने से ग्रामीणों ने खुद ही सड़क के गड्ढों को भरने और सड़क की मरम्मत करने का बीड़ा उठाया है
दरसल चौण्डा किमनी मोटरमार्ग पर कार्यदायी संस्था एनपीसीसी द्वारा वर्ष 2019 में सड़क निर्माण का कार्य पूरा किया गया और सड़क को 2020 से 2025 तक पांच वर्षों के लिए अनुरक्षण में रखा गया है इसके लिए बाकायदा 28 लाख की धनराशि का मद भी रखा गया है बावजूद इसके पिछली बरसात में क्षतिग्रस्त सड़क को सुधारने की जहमत तक एनपीसीसी विभाग नहीं उठा सका सड़क क्षतिग्रस्त होने के चलते आये दिन वाहन चालकों के वाहनों को नुकसान हो रहा है
तो कई बार वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का भी भय बना रहता है बरसात के वक्त ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से सड़क खुलवाने के काम किया वहीं लगातार पत्राचार के बाद भी एक साल से क्षतिग्रस्त सड़क को न सुधार पाने की वजह से ग्रामीणों में एनपीसीसी विभाग और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश बना हुआ है