Nainital News: पिरूल से 10 किलोवाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य, मिलेगा महिलाओं व युवाओं को रोजगार
डीआरडीओ के अधीन रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डिबेर) में पिरूल (चीड़ के सूखे पत्ते) से बिजली उत्पादन की मशीन ईजाद की गई है।इस मशीन के जरिये 15 किलो पिरूल से 10 किलोवाट बिजली बनाई जा सकेगी। मेले में पहुंची इस मशीन के अलावा विशेष प्रकार के पौधे भी आए हैं।
🔹दस किलोवाट बिजली पैदा होगी
बरेली रोड पर गोरापड़ाव स्थित डिबेर में शनिवार से तीन दिवसीय किसान-जवान-विज्ञान मेला शुरू हुआ। डीआरडीओ के केंद्र प्रमुख देवकांत पहाड़ सिंह ने बताया कि डिबेर के वैज्ञानिकों ने पीरूल से विद्युत उत्पादन की मशीन बनाई है। इस मशीन से 15 किलो पिरूल से दस किलोवाट बिजली पैदा होगी।
🔹किसानों को कई सुविधाएं मुहैया कराई जा रही
यह मशीन पर्वतीय क्षेत्रों में आसानी से स्थापित की जा सकेगी। इससे न सिर्फ ज्वलनशील पिरूल से निजात मिल जाएगी, बल्कि स्थानीय लोगों की भी आर्थिकी सुधरेगी। साथ ही पहाड़ी जिलों से पलायन भी रुकेगा। संस्थान की हीरक जयंती के उपलक्ष्य पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसमें क्षेत्रीय किसानों को कई सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। मेले में करीब 100 स्टॉल लगाए गए हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
🔹वनाग्नि की बड़ी वजह पिरूल
उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगती है। वनाग्नि की ज्यादातर घटनाएं चीड़ के जंगलों में होती है। इस वर्ष प्रदेश के जंगलों में आग की 773 घटनाएं हुई। इसमें 933 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में वन संपदा प्रभावित हुई थी। पिथौरागढ़ समेत अन्य वन प्रभाग संवेदनशील रहे हैं। पिरूल से निपटने के लिए कई बार प्रयास किए गए थे लेकिन यह बहुत कारगर साबित नहीं हो सके।
🔹डिबेर की ये भी उपलब्धियां
🔹चार किलोवाट बिजली उत्पादन के साथ बायोगैस संयंत्र एलएसी के पास हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली तैनात की गई।
🔹पोखरण फायरिंग रेंज में स्मार्ट हाइब्रिड ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली का उपयोगकर्ता सहायता प्राप्त तकनीकी परीक्षण पूरा हो गया।
🔹7 जिलों के किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज और अंकुरण के लिए समर्थन बढ़ाना।