अल्मोड़ा के इस स्कूल में एक साल से पेयजल आपूर्ति ठप गधेरों से ढोना पड़ रहा है पानी

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अल्मोड़ा धौलछीना के भैंसियाछाना के उच्चतर माध्यमिक स्कूल धनियान में बीते एक साल से पेयजल आपूर्ति ठप है और घर से बोतल में पानी लाकर विद्यार्थियों को प्यास बुझानी पड़ रही है।

वहीं मध्याह्न भोजन पकाने के लिए गधेरों से पानी ढोना पड़ रहा है। इसके अलावा पानी नहीं आने से गंदगी से पटे शौचालयों में ताले लगा दिए गए हैं।
वर्ष 2005 में स्कूल में पानी उपलब्ध कराने के लिए पेयजल योजना को धरातल पर उतारा गया था जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को राहत मिली लेकिन एक वर्ष पूर्व योजना की लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई जिसे ठीक करने के प्रयास नहीं हुए। नतीजतन यहां की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ठप है जिससे विद्यार्थी, शिक्षक और भोजनमाता सभी परेशान हैं।
ऐसे में यहां पढ़ने वाले 75 विद्यार्थियों को घर से पानी लाना पड़ रहा है। वहीं भोजनमाता गधेरों से पानी ढोकर मध्याह्न भोजन तैयार कर रही हैं। इस एक वर्ष में स्कूल प्रबंधन ने पेयजल आपूर्ति बहाल करने को लेकर जल संस्थान को पांच से अधिक बार पत्र भेजा। बावजूद इसके अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में स्कूल के विद्यार्थी और वहां तैनात शिक्षक पानी के लिए तरस गए हैं। इसके अलावा पानी नहीं आने से गंदगी से पटे शौचालयों में ताले लगा दिए गए हैं। मजबूर होकर विद्यार्थियों और शिक्षकों को शौच के लिए जंगलों की दौड़ लगानी पड़ रही है। उनकी इस परेशानी और मजबूरी को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया है।

जल संस्थान को कई बार मामले की शिकायत की गई है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस लापरवाही के चलते विद्यार्थियों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। – मुन्नी देवी, अध्यक्ष, स्कूल प्रबंधन समिति, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, धनियान।

कोट- लंबे समय से स्कूल में पेयजल आपूर्ति ठप है जिसकी शिकायत जल संस्थान से की गई है लेकिन इस समस्या का समाधान करने को गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। निश्चित तौर पर इससे विद्यार्थी और शिक्षक परेशान हैं। – हरीश रौतेला, खंड शिक्षा अधिकारी, भैंसियाछाना।
कोट- गर्मी में स्रोत में पानी की कमी के चलते स्कूल में पेयजल आपूर्ति सुचारू नहीं हो पा रही है। जल जीवन मिशन योजना के फेज-टू में स्कूल को लाभान्वित करने का प्रस्ताव है। जल्द ही प्राथमिकता के आधार पर स्कूल को नया पेयजल कनेक्शन दिया जाएगा। – बलवंत सिंह, जेई, जल संस्थान, भैंसियाछाना।

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