आईटीआई में बेकार पड़ी मशीनो के कारण घट रही है विद्यार्थियों की संख्या , प्रशिक्षण के लिए न कपड़ा मिल रहा है न तार

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अल्मोड़ा। दान में मिली भूमि पर आजादी से पहले स्थापित की गई आईटीआई सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया है। वर्ष 1946 में स्थापित पंडित जनार्दन जोशी आईटीआई में एक दशक पूर्व संचालित होने वाले 10 ट्रेड में से आठ बंद होकर दो ट्रेड में सिमटकर रह गए हैं।

खराब मशीनों के चलते छात्र संख्या घटकर महज 37 रह गई

यहां तकनीकी शिक्षा का ज्ञान लेने वाले 400 युवाओं की संख्या अब सिर्फ 37 रह गई है। हालात यह हैं कि संस्थान में प्रयोगात्मक सामग्री तक की व्यवस्था नहीं है। युवाओं को प्रयोग के लिए न तो तार मिल रहा है और ना ही कपड़ा। ऐसे में यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अधर में है।
नगर स्थित पंडित जनार्दन जोशी आईटीआई में एक दशक पूर्व 10 ट्रेड संचालित होते। इन ट्रेडों में 400 से अधिक युवा तकनीकी शिक्षा का ज्ञान लेते थे। बीते 10 साल से यहां कोई प्रयोगात्मक सामान की आपूर्ति नहीं हुई और वर्षों पुरानी मशीनें कबाड़ बन गईं। जरूरी सामान उपलब्ध न होने व अनुदेशकों की नियुक्ति नहीं होने से धीरे-धीरे यहां संचालित ट्रेड बंद करने पड़े।
नतीजतन यहां आठ ट्रेड बंद हो गए और छात्र संख्या घटकर महज 37 रह गई है।  इन सब के बीच युवाओं को तकनीकी शिक्षा का ज्ञान देकर उन्हें रोजगार से जोड़ने के दावे हो रहे हैं जो धरातल पर बेअसर हैं।

शिक्षकों की भी नही हो रही है नियुक्ति

वर्तमान में यहां इलेक्ट्रिशीयन व सिलाई ट्रेड संचालित हैं जिनका ज्ञान देने के लिए न तो तार मिल रहा है और ना ही कपड़ा। ऐसे में प्रदेश में संचालित कौशल विकास नीति दम तोड़ रही है।
अनुदेशक के 11 पद स्वीकृत, तैनात महज दो, पंडित जनार्दन जोशी आईटीआई में 11 अनुदेशक के पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां सिर्फ दो अनुदेशक ही तैनात हैं। एक दशक पूर्व तक यहां फिटर, मशीनिस्ट, फैशन टेक्नोलॉजी, वीविंग वुलन, कारपेंटर सहित 10 ट्रेड संचालित होते थे। संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक ट्रेड बंद होना और अनुदेशकों की नियुक्ति न होना यहां घटी छात्र संख्या का बढ़ा कारण रहा है।

क्या कहते है प्रधानाचार्य

संस्थान के प्रधानाचार्य बीबी तिवारी ने कहा नई मशीनरी व जरूरी सामान उपलब्ध न होने से युवा पुरानी मशीनों के भरोसे प्रशिक्षण लेने को मजबूर हैं। संस्थान के मुताबिक यहां 80 प्रतिशत मशीनरी की उम्र पूरी होने से यह बेकार हो चुकी है। ऐसे में अनुदेशक पुरानी मशीन दिखाकर बाहरी तौर पर युवाओं को तकनीकी शिक्षा में पारंगत बनाने में जुटे हैं। संस्थान में बंद पड़े ट्रेड को संचालित करने और अनुदेशकों की नियुक्ति के प्रयास किए जा रहे हैं। शासन को यहां के हालातों के बारे में बताया गया है।

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