Khaber nainital से उत्तराखंड में राजस्व पुलिस की व्यवस्था को सिविल पुलिस सोपे जाने को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से माँगा जवाब
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अंकिता हत्या कांड में राजस्व पुलिस द्वारा जांच में देरी को लेकर राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त कर रेगुलर पुलिस की व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने 17 अक्टूबर 2022 को कैबिनेट में निर्णय लिया गया है कि राजस्व हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त कर अपराधों की विवेचना का काम सिविल पुलिस को सौप दिया जायगा। जिसपर कोर्ट ने 27 मार्च तक प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 27 मार्च की तिथि नियत की है।
आपकों बता दे कि 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने नवीन चन्द्र बनाम राज्य सरकार केश में इस व्यवस्था को समाप्त करने की आवश्यकता समझी गयी थी। जिसमे कहा गया कि राजस्व पुलिस को सिविल पुलिस की भांति ट्रेनिंग नही दी जाती यही नही राजस्व पुलिस के पास आधुनिक साधन, कम्प्यूटर,डीएनए और रक्त परीक्षण, फोरेंशिक जाँच ,फिंगर प्रिंट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नही होती है। इन सुविधाओं के अभाव में अपराध की समीक्षा करने में परेशानियां होती है। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में एक समान कानून व्यवस्था हो। जो नागरिकों को मिलना चाहिए।
जनहित याचिका में कहा गया कि अगर सरकार ने इस आदेश का पालन किया होता तो अंकिता मर्डर केश की जाँच में इतनी देरी नही होती। इसलिए राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाय। इस मामले में समाधान 256 कृष्णा विहार लाइन एक जाखन देहरादून वालो ने जनहीत याचिका दायर की है।