अल्मोड़ा में बंदरों की रोकथाम के लिए जंगलों में लगेंगे फलदार पौधे,पौधों की सुरक्षा का जिम्मा संभालेगा वन विभाग

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अल्मोड़ा। बंदरों को आबादी में आने से रोकने के लिए वन विभाग ने फलदार पेड़ों के जंगल विकसित करने की योजना बनाई है। इसके तहत माल्टा, महल, आंवला, नाशपाती के जंगल विकसित किए जाएंगे। इससे बंदरों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिलेगा और उनका आबादी में आना रुक सकेगा।

•इस मानसूनकाल में जंगलों में 50 हजार से अधिक फलदार पौधे रोपे जाने का लक्ष्य 

वन विभाग के मुताबिक इस मानसूनकाल में 391 हेक्टेयर जंगल में 267580 पौधे का रोपण किया जाएगा। इनमें 50 हजार से अधिक पौधे आड़ू, खुमानी, शहतूत, माल्टा, महल, आंवला, काफल, अमरूद, नाशपाती और अन्य फलदार होंगे। विभाग का मानना है कि फलदार पेड़ों के जंगल विकसित होने से खेती भी बच जाएगी। विभाग इसमें 35 लाख रुपये खर्च करेगा। 

•फिर आबाद होंगे बंजर हो चुके खेत 

जंगलों में पर्याप्त भोजन न मिलने से बंदर आबादी में आकर खेती को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस कारण किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं और खेत बंजर हो रहे हैं। वन विभाग की यह मुहिम सफल रही तो बंदरों से खेती को बचाया जा सकेगा और बंजर हो चुके खेत फिर से आबाद होंगे। 

•स्रोतों का जलस्तर बढ़ेगा, पशुओं के मिलेगा चारा 

वन विभाग के मुताबिक जंगलों में बांज और उतीस के दो लाख से अधिक पौधे भी रोपे जाएंगे। इन प्रजाति के जंगल विकसित होने से स्रोतों का जलस्तर बढ़ेगा। इन पेड़ों की पत्ती से चारा भी उपलब्ध होगा। 

•पौधों की सुरक्षा का जिम्मा संभालेगा वन विभाग 

पौधों की सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग खुद संभालेगा। वन विभाग के मुताबिक रेंज कार्यालयों में तैनात वन कर्मियों और अधिकारियों को इन पौधों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी। टीम लगातार इन जंगलों में जाकर पौधों के लिए पानी, खाद आदि की व्यवस्था करेगी। 

डीएफओ, सिविल सोयम ध्रुव सिंह मर्तोलिया ने कहा वन विभाग ने फलदार पेड़ों का जंगल विकसित करने की योजना है। यदि बंदरों को जंगल में पर्याप्त भोजन मिलेगा तो वे आबादी में नहीं आएंगे। इससे फसल भी बचेगी। बांज, उतीस के जंगल से स्रोतों का पानी बढ़ेगा और इनकी पत्ती चारे के रूप में प्रयोग में लाई जा सकेगी। 

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