सिडकुल मजदूर संगठन कर्मचारियों ने परिवार सहित गांधी चौक तल्लीताल में किया धरना प्रदर्शन

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नैनीताल। सरोवर नगरी में बुधवार को इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के कर्मचारियों ने परिवार सहित गांधी चौक तल्लीताल में धरना प्रदर्शन कर इन्टरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की कहा न्याय न मिलने पर इन्टशर्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर व किच्छा के मजदूरों के बच्चों ने शुरू किया बाल सत्याग्रह शुरू कर दिया है

 

 

तत्पश्चात जुलूस के माध्यम से प्रदर्शनकारी कुमाऊं आयुक्त कार्यालय पहुंचे और वहां पर भी धरना प्रदर्शन कर सभा करने के पश्चात आयुक्त दीपक रावत को ज्ञापन देकर न्याय दिलाने की मांग की। सभा को सम्बोधित करते हुए बच्चों ने बड़े ही करुण स्वर में अपनी पीड़ा को व्यक्त की। कहा कि इन्टशर्क कंपनी मालिक द्वारा 16 मार्च 2022 को कंपनी की तालाबन्दी कर हमारे पापा समेत करीब 500 स्थाई मजदूरों का गेटबन्द कर उन्हें अपने बच्चों संग भूखों मरने को विवश किया जा रहा है कि हमारे पापा को विगत 3 माह से वेतन न मिलने से हम सही से खाना भी नहीं खा पा रहे हैं।

 

 

 

हमारे स्कूल छूट रहा है। हम अपनी फीस भी नहीं भर पा रहे हैं जिस कारण हमें स्कूल में रोज रोज जलील व अपमानित होना पड़ता है। अभी तक भी हम अपने कॉपी किताब नहीं खरीद पाये हैं। कि हमने जिला प्रशासन, श्रम विभाग समेत हर जगह फरियाद की किन्तु हमें कहीं भी न्याय नहीं मिला। इसलिए हम अपनी फरियाद लेकर यहां आये हैं। यदि फिर भी हमें न्याय न मिला तो हम उत्तराखंड की न्यायप्रिय जनता, मजदूरों किसानों महिलाओं और बच्चों संग मिलकर आंदोलन तेज करने को विवश होंगे। बच्चों की पीड़ा को महसूस कर वहां पर उपस्थित सभी लोगों की आँखे छलक उठी।

 

 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के महामंत्री सौरभ कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल 2022 आदेश के क्रम में उत्तराखंड शासन के श्रम अनुभाग द्वारा 30 मई 2022 को जारी आदेश में कंपनी की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। उत्तराखंड शासन को 6 हफ्ते में निर्णय लेना था किंतु उसने निर्णय लेने में करीब 9 हफ्ते लगा दिये। जो कि उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की घोर अवमानना है। अभी भी कंपनी की तालाबन्दी समाप्त कर उक्त 500 मजदूरों को काम पर बहाल नहीं किया गया है। जो कि श्रम विभाग और प्रशासन की लापरवाही व कंपनी मालिक संग मिलीभगत को ही प्रदर्शित करता है। सहायक श्रमायुक्त द्वारा तो उक्त 500 मजदूरों की तालाबंदी के मामले को संज्ञान में ही न लिया गया। जिस कारण से उक्त 500 मजदूर और उनके बच्चे भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं। कहा कि कुमाऊँ कमिश्नर दीपक रावत से ज्ञापन देकर गुहार लगाई है कि कंपनी को आदेश किया जाए और सभी 500 कर्मचारियों की बहाली तत्काल की जाए। इन्टरार्क मजदूर संगठन के कार्यकारिणी सदस्य तक्ष्मण सिंह ने कहा कि कंपनी के किच्छा प्लांट में विगत माह के दौरान 40 स्थाई मजदूरों को गैरकानूनी रूप निलंबित कर दिया है। वहीं कंपनी के प्रमाणित स्टैंडिंग ऑर्डर का उल्लंघन करीब 700 कैजुअल मजदूरों को गैरकानूनी रूप से भर्ती किया गया है। तमाम शिकायत करने पर भी श्रम विभाग मौन है।

 

 

15 दिसंबर 2018 को हुए लिखित समझौते के बावजूद भी पन्तनगर व किच्छा प्लांट के 32 वर्खास्त व निलंबित मजदूरों की अभी तक भी कार्यबडाली न करना प्रबन्धन की हठधर्मिता को ही दर्शाता है। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि प्रबंधन ने मजदूरों का एलटीए व बोनस भी काट दिया है। 4 साल से तनख्वाह भी नहीं बड़ाई है। निलंबित सभी कर्मचारियों को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने भी अपना पूर्ण समर्थन दे रखा है।

 

 

इस मौके पर कार्यक्रम को इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी जोशी, संगठन के महामंत्री सौरभ कुमार एसएन मिश्रा नरेंद्र मणि त्रिपाठी नकुल कुमार वीरेंद्र कुमार और निलंबित परिवारों मैं लगभग डेढ़ सौ महिला बच्चे मौजूद थे।

 

 

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