Big Breking राजीव गांधी हत्याकांड पर केंद्र सरकार की Supreme Court में समीक्षा याचिका दाखिल
राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों की रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में समीक्षा याचिका दाखिल की है.
मालूम हो कि बीते 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों को उनकी सजा में छूट देकर रिहा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले में इस तथ्य पर भी गौर किया था कि तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को सजा में छूट देने की सिफारिश की है. मामले में नलिनी, रविचंद्रन के अलावा जो चार अन्य दोषी हैं उनमें संतन, मुरुगन, पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार शामिल हैं.
उच्चतम न्यायालय ने गौर किया था कि जेल में रहने के दौरान दोषियों का आचरण संतोषजनक था और सभी ने विभिन्न विषयों के अध्ययन किए हैं. न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इनके मामले में भी लागू होता है.
संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसने जेल में 30 साल से अधिक की सज़ा पूरी कर ली थी. अनुच्छेद-142 के तहत, शीर्ष अदालत ‘पूर्ण न्याय’ प्रदान करने के लिए आवश्यक कोई भी फैसला या आदेश जारी कर सकती है. तमिलनाडु सरकार ने नलिनी और रविचंद्रन की समय से पहले रिहाई का समर्थन करते हुए कहा था कि दोषियों की उम्रकैद की सज़ा माफ करने के लिए 2018 की उसकी सलाह राज्यपाल पर बाध्यकारी है.
गौरतलब है कि 21 मई 1991 की रात राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में एक चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी गई थी. इसके लिए धनु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था. मई 1999 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संतन और श्रीहरन के मृत्युदंड की सज़ा को बरकरार रखा था. हालांकि, 2014 में, न्यायालय ने दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर संतन और मुरुगन के साथ पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. नलिनी की मौत की सज़ा को 2001 में इस बात पर गौर करते हुए आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि उसे एक बेटी है.