अप्रैल अब अप्रैल फूल दिवस नहीं वरन जंगलों,जल स्त्रोतों, जैवविविधता को आग से बचाने के लिए “ओण दिवस”के रूप में मनाया जाएगा
अल्मोड़ा: गर्मियों में लगने वाली आग से उत्तराखंड के जल स्त्रोतों, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए विकासखण्ड ताड़ीखेत के मटीला, सूरी गांव में 1 अप्रैल 2022 को प्रथम ओण दिवस का आयोजन किया गया।
सनद रहे कि प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में खरीफ की फसल के लिए खेत तैयार करने से पहले खेत की मेड़ में उग आई कांटेदार झाड़ियां, खरपतवारों को काटकर रख दिया जाता है जिसे ओण,आडा़ या केडा़ कहा जाता है।ओण को फरवरी से मई के महीनों में जलाया जाता है, अक्सर महिलाओं द्वारा ओण जलाने के बाद आग को बुझा दिया जाता है परंतु कई बार लापरवाही, असावधानी के कारण तेज हवाओं का सहारा पाकर ओण की आग अनियंत्रित होकर जंगलों में प्रवेश कर बड़ी अग्नि दुर्घटनाओं को जन्म देती है।
ओण दिवस कार्यक्रम में मटीला,सूरी,गड़सारी, पड्यूला,बरसीला, खरकिया,जाला आदि गांवों की सैकड़ों महिलाओं ने प्रतिभाग किया और यह संकल्प व्यक्त किया कि ओण जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित किया जायेगा जिसके तहत ओण जलाने की कार्रवाई हर साल मार्च के महीने में पूरी कर ली जाएगी ताकि अप्रैल, मई, और जून के महीनों में जंगलों में आग लगने की घटनाओं को रोका जा सके साथ ही जंगलों की आग के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को ” ओण दिवस” के रूप में मनाया जाएगा।
कार्यक्रम का आयोजन ग्रामोद्योग विकास संस्थान, ढैंली, अल्मोड़ा, सेवा भारत संचालित नवनीति केंद्र सूरी,प्लस एप्रोच फाउंडेशन नई दिल्ली ,नौला फाउंडेशन, इको क्लब राजकीय इंटर कालेज चौमूधार के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए ग्रामोद्योग विकास संस्थान के सलाहकार गजेन्द्र पाठक द्वारा ओण दिवस की परिकल्पना और इसके माध्यम से गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं को 90% तक कम किए जाने की संभावना पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी श्री नवनीत पाण्डे द्वारा ओण दिवस के आयोजन को जंगलों में आग लगने की घटनाओं में कमी लाने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जंगलों की आग वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ियों के जल स्त्रोतों के , ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से बेहद ख़तरनाक है और ओण दिवस जैसे कार्यक्रमों से जंगलों में आग लगने की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
मुख्य अतिथि के रूप में शामिल प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव द्वारा स्याही देवी शीतलाखेत क्षेत्र में वर्ष 2003-4 से जनसहभागिता से चलाये जा रहे जंगल बचाओ-जीवन बचाओ अभियान की सराहना करते हुए इसे एक अनुकरणीय पहल बताया।कहा कि ओण दिवस का आयोजन एक महत्वपूर्ण शुरुआत है जिससे जंगलों,जल स्त्रोतों तथा पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में मदद मिलेगी इसलिए वन विभाग ओण दिवस के प्रचार प्रसार में सहयोग करने पर विचार करेगा। ग्रामोद्योग विकास संस्थान के मुख्य सलाहकार चन्दन डांगी ने कहा कि बदलते परिदृश्य में पहाड़ पर औषधीय भांग की खेती से रोजगार को बढ़ावा दिया जाए तो पलायन और बेरोज़गारी की समस्यायों का समाधान निकाला जा सकता है इस अवसर पर उनके द्वारा “न्योली ” संस्था द्वारा बनाए गए भांग के तेल का प्रदर्शन किया गया।खेती को जंगली जानवरों के द्वारा नुकसान पहुंचाने पर चिंता व्यक्त करते हुए संस्था के संरक्षक आर डी जोशी द्वारा तुलसी, हल्दी, मशरूम फूलों की खेती पर जोर दिया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ग्रामोद्योग विकास संस्थान, ढैंली के सचिव गिरीश चन्द्र शर्मा द्वारा जंगलों,जल स्त्रोतों की रक्षा के लिए प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को अप्रैल हिंदी नव वर्ष की पूर्व संध्या के रूप में “ओण दिवस” के रूप में मनाये जाने की अपील करते हुए सभी महिलाओं का, अतिथियों का आभार व्यक्त किया। नौला फाउंडेशन से कुबेर सिंह कठायत और गणेश कठायत ने भी कार्यक्रम में शामिल होकर इसे राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया।
कार्यक्रम का संचालन कल्पना कनवाल, मुन्नी भंडारी तथा रूचि पाठक द्वारा किया गया
कार्यक्रम में कामाक्षी बिष्ट, आशा देवी, इंद्रा देवी, सुनीता बिष्ट, हेमा पाठक, बबीता परिहार, अनिता कनवाल, हेमा जलाल , सोनिया बिष्ट, रूचि पाठक आदि ने जंगलों को बचाने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे सभी परिवारों को प्रतिवर्ष खाना पकाने की गैस के 6 सिलेंडर मुफ्त में दिये जाने की मांग की तथा जंगलों की आग के साथ साथ अवैध शराब, जंगली जानवरों के द्वारा खेती बाड़ी को पहुंचाये जा रहे नुकसान आदि विषयों पर भी अपने विचार रखे।
दोनों कार्यक्रमों में उप प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा भूपाल सिंह,वन दरोगा लछम सिंह,वन बीट अधिकारी आनंद परिहार हरीश बिष्ट, महेंद्र भंडारी, सामाजिक कार्यकर्ता रमेश भंडारी,भूपाल सिंह परिहार, फूलों की खेती के विशेषज्ञ नरेन्द्र सिंह, गोपाल सिंह प्रताप सिंह, पूरन सिंह , पूर्व सरपंच चंदन भंडारी , पूर्व अध्यापक हीरा सिंह परिहार , पान सिंह परिहार, हर्षवर्धन पाठक, रवि परिहार,नीरज, गरिमा,पूजा बिष्ट, सुंदर लाल, श्री बसंत कुमार, कमल सिंह, आदित्य नेगी, गिरजा शंकर तिवारी सहित 400 से अधिक लोग उपस्थित थे।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आर्थिक सहयोग के लिए श्री चंदन डांगी जी और एम बी कालेज हल्द्वानी में भूगोल विभाग में कार्यरत प्रोफेसर डा पुष्पा पंत का बहुत बहुत धन्यवाद, आभार।