अल्मोड़ा:अस्पताल मे इलाज कराने पहुंचा व्यक्ति,जांच से पहले दिल का दौरा पड़ने से मौत

बृहस्पतिवार को नगर के दुगालखोला निवासी हरीश राम (60) सीने में दर्द की शिकायत होने पर जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने पर्ची कटवाई और फिजिशियन को दिखाया। फिजिशियन ने उन्हें कुछ जांच की सलाह दी। वह जांच के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस बीच वह अस्पताल परिसर में लगी बेंच पर बैठ गए। इस दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा तो वहां अफरा-तफरी मच गई।
🔹दिल के डॉक्टर तैनात होते तो बच सकती थी जान
आनन-फानन स्वास्थ्य कर्मी उन्हें इमरजेंसी कक्ष में ले गए। फिजिशियन हरीश आर्या और उनकी टीम ने उनकी जान बचाने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। इमरजेंसी में पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के सभी दावों को फेल किया है। जिला अस्पताल में वर्षों से दिल के डॉक्टर का पद रिक्त है। फिजिशियन के भरोसे ऐसे मरीजों का इलाज हो रहा है। यदि अस्पताल में दिल के डॉक्टर तैनात होते तो हरीश को बेहतर इलाज मिल सकता था और उनकी जान बचाई जा सकती थी।
🔹जिले में बढ़ रहा है दिल के मरीज
जिले में दिल के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। बीते एक साल में जिले के विभिन्न हिस्सों से दिल की बीमारी से जूझते हुए 319 मरीज 108 एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचे। इनमें से 80 मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया। 28 मरीजों की हायर सेंटर पहुंचने से पहले की मौत हो गई। यह आंकड़े बताते हैं कि जिले के अस्पतालों में दिल के डॉक्टर न होने से मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना मजबूरी बन गया है। ऐसे में मरीजों को जान गंवानी पड़ रही है।
मरीज सीने में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा था। फिजिशियन ने उन्हें जांच की सलाह दी। कुछ देर बाद अस्पताल परिसर में उन्हें दिल का दौरा पड़ गया और उनकी मौत हो गई। निश्चित तौर पर जिला अस्पताल में दिल के डॉक्टर की तैनाती होती तो मरीजों को इसका लाभ मिलता लेकिन दिल के मरीजों का फिजिशियन भी उपचार कर सकते हैं