Uttrakhand News :उत्तराखंड की आबोहवा को सुधारने के लिए यहां डीजल वाली बसें बंद करने की तैयारी,पीसीबी ने उत्तराखंड सरकार को इस संबंध में भेजा प्रस्ताव

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उत्तराखंड की आबोहवा को सुधारने के लिए यहां डीजल वाली बसें बंद करने की तैयारी है। ‘नेशनल क्लीन एयर मिशन’ के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने उत्तराखंड सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है।

इसके तहत नगर निकायों के स्तर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए ई-बसें चलाने की भी पैरवी की गई है। दरअसल,उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में प्रदूषण बढ़ने की एक बड़ी वजह डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहन भी हैं। इनमें भी डीजल बसों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ‘नेशनल क्लीन एयर मिशन’ के तहत तमाम कदम उठा रही है। इस क्रम में केंद्र के निर्देश पर पीसीबी ने सरकार को प्रदेश के प्रमुख शहरों में डीजल की बसें बंद करने के साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए नगर निकाय स्तर पर ई-बसें चलाने का प्रस्ताव भेजा है।

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💠काम शुरू

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है। इसके तहत पहले चरण में देहरादून शहर में डीजल की बसें बंद कराकर ई-बसें चलाई जाएंगी। इसके बाद ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की और हल्द्वानी सहित तमाम शहरों में डीजल की बसें व अन्य सार्वजनिक वाहन बंद किए जाएंगे।

💠इलेक्ट्रिक बसें जल्द मिल सकती हैं

पीएम ई-बस योजना के तहत उत्तराखंड को डीजल वाहन बंद करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम मजबूत करना होगा। इसके लिए पीएम ई-बस योजना में केंद्र से सब्सिडी पर राज्यों को ई-बसें मिलनी हैं। इसके तहत उत्तराखंड को भी 150 बसें मिलने की उम्मीद है, जो नगर निकायों के माध्यम से शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए चलाई जाएंगी।उत्तराखंड के ज्यादातर शहरों में प्रदूषण की मुख्य वजह डीजल बसें ही हैं, वो भी पुरानी और खटारा हैं। ‘क्लीन एयर मिशन’ के तहत प्रमुख शहरों में प्रदूषण कम करने के उपाय किए जा रहे हैं। इसी क्रम में उत्तराखंड में भी डीजल की सभी बसें बंद करके उन्नत ई-बसें चलाने की सलाह दी गई है। एनजीटी भी इसके निर्देश दे चुका है।

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डॉ.पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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