Uttrakhand News बेसिक शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान आर्थिक लाभ मिला ही नहीं है,तो वरिष्ठता का विवाद हास्यास्पद:- फुलोरिया
25 जुलाई 23, वरिष्ठता का कोई विवाद नहीं है:- फुलोरिया
बेसिक शिक्षा से एल टी केडर में समायोजित पदोन्नन शिक्षकों की वरिष्ठता विवाद को राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर फुलोरिया व महासचिव शैलेन्द्र सिंह राणा ने सिरे से नकारते हुए कहा कि,
बेसिक शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान आर्थिक लाभ मिला ही नहीं है,तो वरिष्ठता का विवाद हास्यास्पद है,जिन 10–12 शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान का लाभ मिला है यदि उनके द्वारा न्यायालय में वरिष्ठता की याचिका दायर की गई है,तो उन्हीं शिक्षकों को इसका लाभ मिलेगा, उसमें भी अधिकांश शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं,शेष प्रदेश के किसी भी समायोजित पदोन्नन विभागीय परीक्षा भर्ती शिक्षक जो समान वेतनमान पर कार्यरत हैं उनको न्यायालय से स्वत: वित्तीय आर्थिक लाभ एवं वरिष्ठता का लाभ कदापि कोई नहीं मिलेगा,
क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में व्यक्तिगत याचिका दायर करने पर ही ,वरिष्ठता का निर्धारण होता है, ऐसा विवाद पैदा करने से 5000 बेसिक शिक्षा से एल टी में समायोजित पदोन्नन शिक्षकों को चयन प्रोन्नत वेतनमान से वंचित किया जाना सरासर नाइंसाफी होगी, जबकि समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड से जुड़े 5000 शिक्षकों ने मंच के माध्यम से राजकीय शिक्षक संघ, जिनके वो सदस्यता धारक एवं विभिन्न –शाखा से प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी हैं,साथ ही विभाग को स्पष्ट अवगत कराया गया है कि,
माननीय उच्च न्यायालय से वंचित बेसिक शिक्षा से एल टी में समायोजित पदोन्नन व विभागीय परीक्षा भर्ती शिक्षकों को भी आर्थिक लाभ चाहिए, जिससे फिटमेन्ट टेबल बदल जाय हम वरिष्ठता कदापि नहीं मांगेगे, चाहें शासनादेश में भी इसको अंकित किया जा सकता है,यह विवाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अदूरदशिता के कारण हुआ है,।
इधर अध्यक्ष दिगम्बर फुलोरिया ने स्पष्ट कहा कि 22 अप्रैल 2004 को सरकारी गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया उसके बाद 22 अप्रैल 2006 को बेसिक शिक्षा परिषद का राजकीयरण किया गया तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चाहिए था कि वर्ष 2006 की शिक्षा सेवा नियमावली में अल्प संशोधन कर बेसिक शिक्षा से एल टी केडर में जितने भी शिक्षक समायोजित/पदोन्नत /विभागीय परीक्षा भर्ती समान वेतनमान पर कार्यरत शिक्षक होंगे,उनकी पूर्व सेवा को जोड़ते हुए चयन प्रोन्नत वेतनमान स्वीकृत किया जायेगा, परन्तु वरिष्ठता का निर्धारण एल टी प्रवेश की तिथि से ही मानी जायेगी, परन्तु शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने इसके इतर एक नये विवाद को जन्म दिया
गुपचुप तरीके से 2006 की नियमावली को वर्ष 2014 में संशोधित कर दिया गया,2014 की नियमावली में केवल समायोजित शब्द के स्थान पर पदोन्नत शब्द लिख दिया इससे कोर्ट केस बढे हैं , जिन समायोजित पदोन्नन शिक्षकों के लिए नियमावली बदली गई उनको कोई जानकारी ही नहीं दी गई,ऐसी परिस्थिति के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी जिम्मेदार व जवाबदेह हैं, माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर पर होने वाले सरकार के धनराशि का दुरपयोग करने वाले अधिकारियों के वेतनमान से भरपाई होनी चाहिए, 5000 समायोजित पदोन्नन विभागीय परीक्षा भर्ती समान वेतनमान पर कार्यरत शिक्षक आज भी आर्थिक वित्तीय लाभ चयन प्रोन्नत वेतनमान से वंचित हैं, जबकि जो शिक्षक आज भी, प्राथमिक जूनियर हाईस्कूल में ही कार्यरत हैं
उनको 5400 सौ ग्रेड पे मिल रहा है, इसको अनावश्यक विवादास्पद ना बनाते हुए बेसिक शिक्षकों के साथ नैर्सैगिग न्याय किया जाय, यदि अतिशीघ्र चयन प्रोन्नत वेतनमान का शासनादेश जारी नहीं किया गया ,तो सभी प्रकार के शिक्षकों की पदोन्नति बाधित होती रहेगी,सनद रहे, वरिष्ठता प्रकरण पर गजट नोटिफिकेशन के तहत उचित निर्णय लिया जाना चाहिए अन्यथा भविष्य में,भी न्यायालयी विवाद बढते जायेंगे,उसका खामियाजा प्रदेश के समस्त संवर्ग शिक्षकों को भुगतान पड़ेगा ,जो सरासर अन्याय है,तब विभागीय अधिकारियों के फौज की जरूरत भी नहीं पड़नी चाहिए।
दिगम्बर फुलोरिया अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह राणा महासचिव राजकीय एल टी समायोजित पदोन्नन शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड